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ग़ज़ल
ये सर्दियों का उदास मौसम कि धड़कनें बर्फ़ हो गई हैं
जब उन की यख़-बस्तगी परखना तमाज़तें भी शुमार करना
नोशी गिलानी
ग़ज़ल
उस ने इक रोज़ किया हम से अचानक वो सवाल
धड़कनें थम सी गईं वक़्त ने जुम्बिश नहीं की
अंबरीन हसीब अंबर
ग़ज़ल
दिल में तो धड़कने की सदा भी नहीं 'मुश्ताक़'
रस्ते में है वो भीड़ कि रस्ता नहीं मिलता
अहमद मुश्ताक़
ग़ज़ल
वस्ल-ए-महबूब की उम्मीद में तेज़ी से चलीं
धड़कनें और ये दीवार-घड़ी शाम के बा'द