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ग़ज़ल
धार पे बाड़ रखी जाए और हम उस के घायल ठहरें
मैं ने देखा और नज़रों से उन पलकों की धार गिरी
जौन एलिया
ग़ज़ल
दर्द तो होता ही रहता है दर्द के दिन ही प्यारे हैं
जैसे तेज़ छुरी को हम ने रह रह कर फिर धार किया
मीना कुमारी नाज़
ग़ज़ल
तेज़ हवा की धार से कट कर क्या जाने कब गिर जाए
लहराती है शाख़-ए-तमन्ना कच्ची बेल चमेली सी