आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "निखर"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "निखर"
ग़ज़ल
जो मेरी पलकों से थम न पाए वो शबनमीं मेहरबाँ उजाले
तुम्हारी आँखों में आ गए तो तमाम रस्ते निखर गए हैं
अदा जाफ़री
ग़ज़ल
तिरे दीद से ऐ सनम चमन आरज़ुओं का महक उठा
तिरे हुस्न की जो हवा चली तो जुनूँ का रंग निखर गया