आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "नीयत-ए-ख़ालिस"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "नीयत-ए-ख़ालिस"
ग़ज़ल
नक़्द-ए-दिल-ए-ख़ालिस कूँ मिरी क़ल्ब तूँ मत जान
है तुझ कूँ अगर शुबह तो कस देख तपा देख
सिराज औरंगाबादी
ग़ज़ल
नहीं है कम ज़र-ए-ख़ालिस से ज़र्दी-ए-रुख़्सार
तुम अपने इश्क़ को ऐ 'ज़ौक़' कीमिया समझो
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
अल्लाह दे जो निय्यत-ए-ख़ालिस हुज़ूर-ए-क़ल्ब
फिर अर्श सज्दा-गाह है कुर्सी है जा-नमाज़
इमदाद अली बहर
ग़ज़ल
मिर्ज़ा मासिता बेग मुंतही
ग़ज़ल
यहाँ का 'ख़ालिद-ए-इरफ़ाँ' वहाँ के 'राहत-इंदोरी'
निरे शाइर हैं दोनों के सितारे एक जैसे हैं