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ग़ज़ल
वो तुयूर ख़ाक समझे पर-ओ-बाल की हक़ीक़त
जो निकल कर आशियाँ से कभी दाम तक न पहुँचे
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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वो तुयूर ख़ाक समझे पर-ओ-बाल की हक़ीक़त
जो निकल कर आशियाँ से कभी दाम तक न पहुँचे