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ग़ज़ल
अगर सलामत रहा तसव्वुर तो बाग़-ए-दिल पुर-बहार होगा
नफ़स में याद-ए-हबीब होगी नज़र में दीदार-ए-यार होगा
फ़ैज़ी निज़ाम पुरी
ग़ज़ल
फ़स्ल-ए-गुल ने लाख पैदा की फ़ज़ा-ए-पुर-बहार
ग़ुंचा-ए-दिल पर न आई ताज़गी तेरे बग़ैर
सय्यद मुबीन अल्वी ख़ैराबादी
ग़ज़ल
है 'शाद' पुर-बहार ये जोश-ए-जुनूँ मिरा
दामन की अब कहूँ कि गरेबान की कहूँ