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ग़ज़ल
फला-फूला रहे या-रब चमन मेरी उमीदों का
जिगर का ख़ून दे दे कर ये बूटे मैं ने पाले हैं
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
ये अदावतों की सुबुक हवा उसे सह सकूँ कहाँ हौसला
मैं वो पेड़ हूँ कि मोहब्बतों की फ़ज़ा में फूला-फला हुआ
काशिफ़ रफ़ीक़
ग़ज़ल
फला-फूला न किश्त-ए-दहर में तुख़्म-ए-उमीद-ए-दिल
नहीं आगाह जो नश्व-ओ-नुमा से ये वो दाना है
असद अली ख़ान क़लक़
ग़ज़ल
बहारें लूटता हूँ आप के तशरीफ़ लाने में
फला-फूला है मेरा आज नख़्ल-ए-आरज़ू क्या क्या