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ग़ज़ल
उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा
यूँही मेरे बाल हैं बिखरे और बिखर जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
नासिर काज़मी
ग़ज़ल
फ़ना बुलंदशहरी
ग़ज़ल
जब यार ने उठा कर ज़ुल्फ़ों के बाल बाँधे
तब मैं ने अपने दिल में लाखों ख़याल बाँधे
मोहम्मद रफ़ी सौदा
ग़ज़ल
कपड़े बदल कर बाल बना कर कहाँ चले हो किस के लिए
रात बहुत काली है 'नासिर' घर में रहो तो बेहतर है
नासिर काज़मी
ग़ज़ल
इतनी मुद्दत बा'द मिले हो कुछ तो दिल का हाल कहो
कैसे बीते हम बिन प्यारे इतने माह-ओ-साल कहो