आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "बिंत-ए-महताब"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "बिंत-ए-महताब"
ग़ज़ल
रुख़-ए-महताब से कुछ भी अयाँ होता रहे लेकिन
ये कारोबार-ए-दुनिया सिर्फ़ अय्यारी से क़ाएम है
महताब हैदर नक़वी
ग़ज़ल
सदा याँ हिल्लत-ए-बिंत-ए-इनब की अक़्द जारी है
तरीक़ा है निराला पीर-ए-मय-कश की तरीक़त का