आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "बैठता"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "बैठता"
ग़ज़ल
बज़्म में वो बैठता है जब भी आगे सामने
मैं लरज़ उठता हूँ उस की हर अदा के सामने
अब्दुल मन्नान समदी
ग़ज़ल
जो परी-रू बैठता है आ के उठ सकता नहीं
अब तो नक़्श-ए-बोरिया का ख़ूब मैं आमिल हुआ