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ग़ज़ल
ख़ुद तग़ाफ़ुल ने दिया मुज़्दा-ए-बेदाद मुझे
अल्लाह अल्लाह मिरे नाले भी असर रखते हैं
फ़ानी बदायुनी
ग़ज़ल
ये ज़ुल्मतों के परस्तार क्या ख़बर होते
मिरी नवा में ब-जुज़ मुज़्दा-ए-सहर क्या था
आल-ए-अहमद सुरूर
ग़ज़ल
मैं हूँ वो बुलबुल-ए-महव-ए-असीरी-ए-बेदाद
रहेगी रूह भी बा'द-ए-फ़ना फ़िदा-ए-क़फ़स
असद अली ख़ान क़लक़
ग़ज़ल
मुज़्दा-ए-फ़स्ल-ए-बहाराँ न सुना गुलचीं ने
ख़ाक उड़ाती फिरी गुलशन में सबा मेरे बाद