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ग़ज़ल
लौह-ए-इम्कान पे हस्ती का भरम खुलता है
जाने कब उक़्दा-ए-मौजूद-ओ-अदम खुलता है
मोहम्मद मुख़तार अली
ग़ज़ल
इल्म-ओ-फ़न में तिरा सानी कोई मौजूद नहीं
नाज़ किस पर करें अब अहल-ए-वतन तेरे बाद
चंद्र प्रकाश जौहर बिजनौरी
ग़ज़ल
क्या कहूँ किस से कहूँ कहने का कुछ हासिल नहीं
जब से देखा है उन्हें क़ाबू में मेरा दिल नहीं
अनवारुल हक़ अहमर लखनवी
ग़ज़ल
ग़ज़ल जब छेड़ देता है कोई अहद-ए-जवानी की
किसी का जिस्म-ए-मौज़ून-ओ-ग़ज़ल-ख़्वाँ याद आता है
रईस अमरोहवी
ग़ज़ल
ता न फिर शा'इर लिखें तौसीफ़-ए-बाला-ए-बुताँ
मिस्रा'-ए-मौज़ूँ-ओ-शे'र-ए-इंतिख़ाबी तू पहुँच
वलीउल्लाह मुहिब
ग़ज़ल
वो पशीमान-ए-सितम हो ये ज़रूरी तो नहीं
मेरे ग़म का उसे ग़म हो ये ज़रूरी तो नहीं