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ग़ज़ल
मौज-ए-निकहत की सबा देख सवारी तय्यार
ख़ार से की है गुल-ए-तर ने कटारी तय्यार
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
तिरा दर्द 'बज़्मी'-ए-ना-तवाँ न इधर सुना न उधर सुना
कि दयार-ए-निकहत-ओ-नूर से तिरे ग़म-गुसार चले गए
सरफ़राज़ बज़्मी
ग़ज़ल
ज़िंदगी के दामन में रंग-ओ-नूर-ओ-निकहत क्या
ख़्वाब ही तो देखा है ख़्वाब की हक़ीक़त क्या
पीरज़ादा क़ासीम
ग़ज़ल
निकहत-ओ-नूर-ओ-ज़िया हुस्न की पहचान बने
इश्क़ मंसूब हुआ बाम-ए-ख़राबात के साथ
मोहम्मद आबिद अली आबिद
ग़ज़ल
ये हसरत है जवानी बारयाब-ए-हुस्न हो जाए
है आवारा ये मौज-ए-निकहत-e-मस्ताना बरसों से