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ग़ज़ल
न वो वादा-ए-सर-ए-राह है न वो दोस्ती न निबाह है
न वो दिल-फ़रेबी के हैं चलन न वो प्यारी प्यारी निगाह है
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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न वो वादा-ए-सर-ए-राह है न वो दोस्ती न निबाह है
न वो दिल-फ़रेबी के हैं चलन न वो प्यारी प्यारी निगाह है