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ग़ज़ल
थोड़ी देर में थक जाएँगे नील-कमल सी रेन के पाँव
थोड़ी देर में थम जाएगा राग नदी के झाँझन का
अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा
ग़ज़ल
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
मर्ग-ए-'जिगर' पे क्यूँ तिरी आँखें हैं अश्क-रेज़
इक सानेहा सही मगर इतना अहम नहीं