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ग़ज़ल
मिर्ज़ा आसमान जाह अंजुम
ग़ज़ल
वो आई शाम-ए-ग़म वक़्फ़-ए-बला होने का वक़्त आया
तड़पने लोटने का दम फ़ना होने का वक़्त आया
तिलोकचंद महरूम
ग़ज़ल
दिल न हुआ पहले जो बिस्मिल लोटने से क्या मतलब था
धूम थी जब ख़ुश-बाशियों की अब शोहरत है बेताबी की