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ग़ज़ल
सलीम कौसर
ग़ज़ल
भूल कर हरगिज़ न लेते हम ज़बाँ से नाम-ए-इश्क़
गर नज़र आता हमें आग़ाज़ में अंजाम-ए-इश्क़
ज़हीर देहलवी
ग़ज़ल
नग़्मा-ए-इश्क़ सुनाता हूँ मैं इस शान के साथ
रक़्स करता है ज़माना मिरे विज्दान के साथ
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
साँसों की जल-तरंग पर नग़्मा-ए-इश्क़ गाए जा
ऐ मिरी जान-ए-आरज़ू तू यूँही मुस्कुराए जा
गणेश बिहारी तर्ज़
ग़ज़ल
हयात-ए-इश्क़ का इक इक नफ़स जाम-ए-शहादत है
वो जान-ए-नाज़-बरदाराँ कोई आसान लेते हैं
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
ग़ुंचे मिज़ाज-ए-'इश्क़ पे कसते हैं फब्तियाँ
गुल ही गवाह होंगे शहादत हज़ार तक