आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "शाबाश"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "शाबाश"
ग़ज़ल
जो पूछें हश्र में कुछ वो तो हाँ दिला शाबाश
वहाँ भी तू यूँ ही बातें बना के रह जाना
शाद अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
ज़र्रों को शाबाश दिन को हैं हुज़ूर-ए-मेहर-ए-रुख़
देखिए छुप के निकलते हैं सितारे रात को
रशीद लखनवी
ग़ज़ल
यारो साक़ी और शराब-ओ-सब्ज़ा मौजूद आज है
'आफ़रीदी' है कबाब-ए-दिल पे जा शाबाश की
क़ासिम अली ख़ान अफ़रीदी
ग़ज़ल
ऐ हुजूम-ए-ना-उमीदी शाद-बाश-ओ-ज़िंदा-बाश
तू ने सब से कर दिया बेगाना-ओ-ग़ाफ़िल मुझे
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
उसी ने की इल्ज़ाम-तराशी और दुनिया ने दी शाबाशी
मेरे सर ही सारी बलाएँ कब तक आख़िर आख़िर कब तक