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ग़ज़ल
ग़म के हाथों शुक्र-ए-ख़ुदा है इश्क़ का चर्चा आम नहीं
गली गली पत्थर पड़ते हों हम ऐसे बदनाम नहीं
वहीद क़ुरैशी
ग़ज़ल
अदा शुक्र-ए-ख़ुदा कर गर तुझे पैमाना मिलता है
बड़ी मुश्किल से ऐ वाइज़ दर-ए-मय-ख़ाना मिलता है
ज़ाहिद अल-एहसानी लोहारवी
ग़ज़ल
बोसा माँगा तो कहा शुक्र-ए-ख़ुदा अच्छा हूँ
बात क्या जल्द उड़ाई है इलाही तौबा
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
शुक्र-ए-ख़ुदा-ए-पाक है ऐ 'नादिर'-ए-हज़ीं
उम्मत में हम रसूल की कहलाए जाते हैं
कल्ब-ए-हुसैन नादिर
ग़ज़ल
शुक्र-ए-ख़ुदा कि ज़ुल्म से मा'ज़ूर है फ़लक
बर्तानिया है ख़ल्क़ की ग़म-ख़्वार आज-कल
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
सज्दा-ए-शुक्र-ए-ख़ुदा हम से अदा क्या हो 'तरब'
दिल तो दीवाना-ए-असनाम है आज़र की तरह
तरब सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
होगा पुर-नूर सियह-ख़ाना हमारे दिल का
इस में तुम ग़ौस-ए-ख़ुदा को ज़रा आ जाने दो
जमीला ख़ुदा बख़्श
ग़ज़ल
दाग़ बन कर तो रहा दामन-ए-क़ातिल पे मगर
बू-ए-ख़ूँ बहर-ए-ख़ुदा बू-ए-वफ़ा हो जाना
जमीला ख़ुदा बख़्श
ग़ज़ल
ये इश्क़ 'जमीला' का ऐ ख़िज़्र-ए-रह-ए-उल्फ़त
महबूब के जल्वे को असरार-ए-ख़ुदा जाना