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ग़ज़ल
ये दौड़-धूप ब-हर-सुब्ह-ओ-शाम किस के लिए
बस एक नाम की ख़ातिर ये नाम किस के लिए
नाज़िम सुल्तानपूरी
ग़ज़ल
ज़िंदान-ए-सुब्ह-ओ-शाम में तू भी है मैं भी हूँ
इक गर्दिश-ए-मुदाम में तू भी है मैं भी हूँ
अकबर हैदराबादी
ग़ज़ल
कहीं सुब्ह-ओ-शाम के दरमियाँ कहीं माह-ओ-साल के दरमियाँ
ये मिरे वजूद की सल्तनत है अजब ज़वाल के दरमियाँ
बद्र-ए-आलम ख़लिश
ग़ज़ल
खो न जा इस सहर ओ शाम में ऐ साहिब-ए-होश
इक जहाँ और भी है जिस में न फ़र्दा है न दोश
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
ये ज़िक्र आइने से सुब्ह-ओ-शाम किस का है
जो गुनगुनाते हो हर-दम कलाम किस का है