आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "साग"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "साग"
ग़ज़ल
मेरा साँस उखड़ते ही सब बैन करेंगे रोएँगे
या'नी मेरे बा'द भी या'नी साँस लिए जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
बहुत आए मोहरे कड़े कड़े वो जो मुंड-जी थे बड़े बड़े
वले ऐसे तो न नज़र पड़े कि जो साफ़ पाक हों लाग से
इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
ग़ज़ल
सब के चूल्हे अलग अलग हैं जब से अम्माँ गुज़री हैं
उजड़े चौके से आती है अम्माँ वाले साग की ख़ुशबू
मधूरिमा सिंह
ग़ज़ल
हिर्स-ओ-हवा की इस दुनिया से बच के रहो तो अच्छा है
बेहतर है शीराज़ की दावत से बस रूखी रोटी साग
शिव रतन लाल बर्क़ पूंछवी
ग़ज़ल
बाग़ में तुर्रा-ए-सुम्बुल की परेशानी से
साफ़ निकला तिरे शोरीदा-सराँ का बहरूप
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
लख़्त-ए-दिल आ सर-ए-मिज़्गाँ पे लटकते हैं पड़े
तेरी उल्फ़त ने भला साँग दिखाया नट का