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ग़ज़ल
शहर वो साहूकार है जिस को कोस रहा है हर कोई
ये सच भी सब को मालूम है दाना-पानी उस के पास
प्रताप सोमवंशी
ग़ज़ल
देखिए क्या हो बे-तरह दिल की लगे हैं घात में
ग़मज़ा-ए-पुर-फ़रेब भी इश्वा-ए-सेहर-कार भी
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
ऐ शोख़-ए-सेहर-कार हर यक बुल-फ़ुज़ूल कूँ
तीर-ए-निगह ने बिस्मिल-ए-तेग़-ए-अजल किया