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ग़ज़ल
पूछते क्या हैं दम-ए-तकबीर तू ने क्या किया
सूरत-ए-आईना चेहरा आप का देखा किया
मीर शम्सुद्दीन फ़ैज़
ग़ज़ल
ज़बाँ में ताब-ए-गोयाई नहीं अर्ज़-ए-तलब क्या हो
हम उन से सूरत-ए-आईना हैरानी से मिलते हैं
तुफ़ैल होशियारपुरी
ग़ज़ल
हो रहा हूँ महव-ए-दीद-ए-रू-ए-जानाँ इन दिनों
क्यों न हूँ फिर सूरत-ए-आईना हैराँ इन दिनों
मोहम्मद इब्राहीम आजिज़
ग़ज़ल
मिन्नत-ए-क़ासिद कौन उठाए शिकवा-ए-दरबाँ कौन करे
नामा-ए-शौक़ ग़ज़ल की सूरत छपने को दो अख़बार के बीच
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
निकाली जाए किस तरकीब से तक़रीर की सूरत
वो आईने की सूरत और मैं तस्वीर की सूरत