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ग़ज़ल
ज़ोम न कीजो शम्अ-रू बज़्म के सोज़ ओ साज़ पर
रखियो नज़र बजा-ए-नाज़ ख़ातिर-ए-पीर-ए-नाज़ पर
साइल देहलवी
ग़ज़ल
वो सोज़-ओ-साज़ वो नग़्मा ख़याल-ओ-ख़्वाब हुआ
मिटा के हम को ज़माना बहुत ख़राब हुआ
उमा शंकर शादाँ ग्वालियरी
ग़ज़ल
हदीस-ए-सोज़-ओ-साज़-ए-शम्-ओ-परवाना नहीं कहते
हम अपना हाल-ए-दिल कहते हैं अफ़्साना नहीं कहते
फ़िगार उन्नावी
ग़ज़ल
ऐश की सरख़ुशी वबाल बज़्म-ए-तरब का रग रोग
महफ़िल-ए-सोज़-ओ-साज़ में नग़्मा-ए-ज़िंदगी नहीं
मुमताज़ अहमद ख़ाँ ख़ुशतर खांडवी
ग़ज़ल
वो सोज़-ओ-साज़-ए-ग़म-ए-इश्क़ अब कहाँ लेकिन
निकलती है मिरे नग़्मों से ग़म की लय अब भी
मुख़्तार हाशमी
ग़ज़ल
निस्बत-ए-हुस्न है मुझे इश्क़ से रब्त है मिरा
शो'ला-ए-बर्क़-ए-नाज़ हूँ वादी-ए-सोज़-ओ-साज़ में