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ग़ज़ल
आया था क्यूँ अदम में क्या कर चला जहाँ में
ये मर्ग-ओ-ज़ीस्त तुझ बिन आपस में हँसतियाँ हैं
मोहम्मद रफ़ी सौदा
ग़ज़ल
जराहत-तोहफ़ा अल्मास-अर्मुग़ाँ दाग़-ए-जिगर हदिया
मुबारकबाद 'असद' ग़म-ख़्वार-ए-जान-ए-दर्दमंद आया
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
जब हँसाया गर्दिश-ए-गर्दूं ने हम को शक्ल-ए-गुल
मिस्ल-ए-शबनम हैं हमेशा गिर्या ओ ज़ारी में हम
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
अज़िय्यत रात खाने में परोसी मुफ़्लिसी के साथ
'हिया' का हौसला फिर साथ में खाना ज़रूरी था
हेमा काण्डपाल हिया
ग़ज़ल
मक़्तल में चलने वाला हर चाक़ू माँगे आज़ादी
सड़कों पर उठने वाला हर बाज़ू माँगे आज़ादी
हेमा काण्डपाल हिया
ग़ज़ल
सरसों के खेतों में अपने काग़ज़ धानी करते करते
ग़ज़लें सारी लिक्खी हम ने ख़ूँ को पानी करते करते