aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "हम-सुख़न"
रहेगा साथ कहाँ तक ये देखना है मुझेवो हम-सुख़न तो मिरा हो गया है रस्ते में
ये उस के क़ुर्ब की पादाश में सुख़न' हम कोनसीब हिज्र हुआ है अज़ाब की सूरत
हमें सूद-ओ-ज़ियाँ से क्या 'सुख़न' हमन याबिंदा न गीरिन्दा हुए हैं
है ख़ूब 'सुख़न' इश्क़-ए-नेक-तीनतहम रूह को सरशार देखते हैं
कौन से अहद में खोली हैं ये आँखें हम नेऐब लगते हैं 'सुख़न' सब के हुनर की सूरत
हम-सुख़न हम-ज़बाँ मिले न मिलेआप सा मेहरबाँ मिले न मिले
न हम-सुख़न न कोई हम-गुमाँ किधर जाएँबहुत उदास हैं जान-ए-जहाँ किधर जाएँ
मुझे अज़ीज़ बहुत था जो हम-सुख़न मेराउसी ने फेंक दिया धरती पर गगन मेरा
हम सुख़न-गो एक दिन सब राएगाँ रह जाएँगेबस हमारे हर्फ़ हैं जो जावेदाँ रह जाएँगे
वो कम-आमेज़ मुझ से हम-सुख़न होने लगा हैब-यक लहज़ा ये दश्त-ए-दिल चमन होने लगा है
मिरे हम-सुख़न मिरे हम-नवा तिरी ख़ैर होतू विसाल-रुत में जुदा हुआ तिरी ख़ैर हो
तू असीर-ए-बज़्म है हम-सुख़न तुझे ज़ौक़-ए-नाला-ए-नय नहींतिरा दिल गुदाज़ हो किस तरह ये तिरे मिज़ाज की लय नहीं
आप अपने से हम-सुख़न रहनाहम-नशीं साँस फूल जाती है
तू शरीक-ए-सुख़न नहीं है तो क्याहम-सुख़न तेरी ख़ामुशी है अभी
तवल्ला समझ हम-ज़बानी से बेहतरतअश्शुक़ हुआ हम-दम-ओ-हम-सुख़न का
हम-सुख़न तेशा ने फ़रहाद को शीरीं से कियाजिस तरह का कि किसी में हो कमाल अच्छा है
ये रश्क है कि वो होता है हम-सुख़न तुम सेवगर्ना ख़ौफ़-ए-बद-आमोज़ी-ए-अदू क्या है
हमराज़-ओ-हम-सुख़न था मगर इस के बावजूदटकराए मेरे दिल के मफ़ादात और मैं
रहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न होहम-सुख़न कोई न हो और हम-ज़बाँ कोई न हो
ये किस जगह इंहिमाक से गुफ़्तुगू का यूँ सिलसिला है जारीजहाँ पे हम-ज़ेहन-ओ-हम-ज़बाँ है न हम-दम-ओ-हम-सुख़न है कोई
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