aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "हलचल"
किसी के आने पे ऐसे हलचल हुई है मुझ मेंख़मोश जंगल में जैसे बंदूक़ चल गई हो
पेड़ के पत्तों में हलचल है ख़बर-दार से हैंशाम से तेज़ हवा चलने के आसार से हैं
बूँद जब थी बादल में ज़िंदगी थी हलचल मेंक़ैद अब सदफ़ में है बन के है गुहर तन्हा
जो सोए हुए दिल में हलचल मचा देवो तूफ़ाँ उठाने को जी चाहता है
बहती नदी को बाँधे बाँधचुल्लू में हलचल क्या हो
आह ये रंगीन मौसम ख़ून की बरसात काछा रहा है 'अक़्ल पर जज़्बात की हलचल का रंग
हवा-ए-ताज़ा का झोंका चला आया कहाँ सेकि मुद्दत बा'द सी पानी में हलचल हो रही है
न कोई शोर शराबा न कोई हलचल हैज़िंदगी लगती है ठहरे हुए पानी की तरह
अपनी जगह साहिल सा ठहरा ग़म तेरादिल के दरिया में इक हलचल पैहम सी
नाम मेरा याद करके चुस्कियों के बीच मेंक्या हुई है चाय के कप में तिरे हलचल कभी
आज दरिया में अजब शोर अजब हलचल हैकिस की कश्ती ने क़दम आब-ए-रवाँ पर रक्खा
बस इक सैलाब था लफ़्ज़ों का जो रुकता नहीं थाये हलचल सत्ह पे रहती है गहराई से पहले
फेंक यूँ पत्थर कि सत्ह-ए-आब भी बोझल न होनक़्श भी बन जाए और दरिया में भी हलचल न हो
जहाँ वाले उसे जब याद करना भूल जाते हैंज़मीनों की तहों में कोई हलचल भेज देता है
ये जो शब के ऐवानों में इक हलचल इक हश्र बपा हैये जो अंधेरा सिमट रहा है ये जो उजाला फैल रहा है
देख कर पहली नज़र में जो उमड आए थेफिर से जज़्बात में पैदा वही हलचल कर दे
क्या सुकूँ की तलाश है सब कोएक हलचल सी है जहान में क्या
न कोई ज़ुल्म न हलचल न मसअला कोईअभी की बात है मैं हादसे उगाता था
जिस बात से दिल में हलचल हैवो बात लबों पे रुकी क्यूँ है
कोई हलचल है न आहट न सदा है कोईदिल की दहलीज़ पे चुप-चाप खड़ा है कोई
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