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ग़ज़ल
हुस्न की कम न हुई गर्मी-ए-बाज़ार हनूज़
नक़्द-ए-जान तक लिए फिरते हैं ख़रीदार हनूज़
अब्दुल अलीम आसि
ग़ज़ल
मिस्र में हुस्न की वो गर्मी-ए-बाज़ार कहाँ
जिंस तो है पे ज़ुलेख़ा सा ख़रीदार कहाँ