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ग़ज़ल
अंजुम उसमान
ग़ज़ल
जाह-ओ-हशमत के लिए रुत्बा-ओ-इज़्ज़त के लिए
लोग बदनाम हुए जाते हैं शोहरत के लिए
कलीम क़ैसर बलरामपुरी
ग़ज़ल
नहीं हवस मुझे दुनिया की जाह-ओ-हशमत की
बहुत दिया दिल-ए-दर्द-आश्ना दिया तू ने