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ग़ज़ल
यहाँ हर शख़्स हर पल हादसा होने से डरता है
खिलौना है जो मिट्टी का फ़ना होने से डरता है
राजेश रेड्डी
ग़ज़ल
मैं एक हादसा बन कर खड़ा था रस्ते में
अजब ज़माने मिरे सर से थे गुज़रते हुए
राजेन्द्र मनचंदा बानी
ग़ज़ल
मुझे पता था कि ये हादसा भी होना था
मैं उस से मिल के न था ख़ुश जुदा भी होना था
राजेन्द्र मनचंदा बानी
ग़ज़ल
मुर्शिद ही जानता है के क्या हादसा हुआ
मुर्शिद ही ने ये मुझ से कहा कुछ हुआ तो है