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ग़ज़ल
तामील-ए-हुक्म-ए-रब में हैं मसरूफ़ रात-दिन
इस वास्ते ये शम्स-ओ-क़मर बोलते नहीं
औलाद-ए-रसूल क़ुद्सी
ग़ज़ल
एक पत्ता भी नहीं हिलता ब-जुज़ हुक्म-ए-ख़ुदा
किस तरह आबाद कर लें अपने वीराने को हम
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
ये दावत-ए-जिहाद बे-महल नहीं है ऐ ज़मीं
किसी फ़क़ीर बे-हुनर का आख़िरी बयान है
सय्यद तम्जीद हैदर तम्जीद
ग़ज़ल
लिल्लाहिल-हम्द कि गुलज़ार में हंगाम-ए-सुबूह
हुक्म-ए-आज़ादी-ए-मुर्ग़ान-ए-गिरफ़्तार आया
जोश मलीहाबादी
ग़ज़ल
किसी का हुक्म-ए-ज़बाँ-बंदी-ए-जुनूँ भी चला
किसी के क़िस्से सुख़न बन के ज़ेर-ए-लब भी चले
आरिफ़ अब्दुल मतीन
ग़ज़ल
तुम ने तो हुक्म-ए-तर्क-ए-तमन्ना सुना दिया
किस दिल से आह तर्क-ए-तमन्ना करे कोई
असरार-उल-हक़ मजाज़
ग़ज़ल
मजबूर दिल था हुक्म-ए-क़ज़ा-ओ-क़दर से 'शौक़'
अब क्या बताएँ आए यहाँ फिर कहाँ से हम
पंडित जगमोहन नाथ रैना शौक़
ग़ज़ल
ऐ जान-ए-ज़ार सब्र की कोशिश फ़ुज़ूल है
समझा हुआ हूँ हुक्म-ए-क़ज़ा-ओ-क़दर को मैं
सय्यद मसूद हसन मसूद
ग़ज़ल
ऐ जान-ए-ज़ार सब्र की कोशिश फ़ुज़ूल है
समझा हुआ हूँ हुक्म-ए-क़ज़ा-ओ-क़दर को मैं