आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "हैसियत-ए-सानवी"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "हैसियत-ए-सानवी"
ग़ज़ल
जिस के करम ने 'सानी' को बख़्शी हैं जुरअतें
इज़हार-ए-मुद्द'आ में झिजक भी उसी की है
ज़ुबैर अहमद सानी
ग़ज़ल
साँस की लय पर थिरकती है कोई अज़ली तरंग
रंग-ए-'सानी' देख कर हैरत-ज़दा रहता हूँ मैं
महेंद्र कुमार सानी
ग़ज़ल
गुनाह क्या है जो दिल से अज़ीज़ रखते हैं
बने हो यूसुफ़-ए-सानी तो चाह करते हैं
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
मैं दिन को शब से भला क्यूँ अलग करूँ सानी
ये तीरगी भी तो इक रौशनी का हिस्सा है
महेंद्र कुमार सानी
ग़ज़ल
उतरते जा रहे हैं रंग दीवारों से सानी
ये परछाईं सी क्या शय है जो इन पर रेंगती है
महेंद्र कुमार सानी
ग़ज़ल
एक मौजूद की निस्बत से है ये सारा वुजूद
किसी अव्वल का नहीं कोई निशाँ सानी में
महेंद्र कुमार सानी
ग़ज़ल
उन जंगलों में कोई नहीं घर को लौट आओ
'सानी' तलाश-ए-हक़ में भटकना है यूँ फ़ुज़ूल
महेंद्र कुमार सानी
ग़ज़ल
'सानी' सँभल कि ख़तरे में है अब तिरा वुजूद
ये कौन तेरे जिस्म में जाँ हो रहा है देख
महेंद्र कुमार सानी
ग़ज़ल
मेरी हस्ती का तसलसुल थी ये दुनिया 'सानी'
हुआ मा'लूम जब इस बज़्म में शामिल हुआ मैं
महेंद्र कुमार सानी
ग़ज़ल
कितने काम करने हैं इम्तिहाँ गुज़रने हैं
जी रहे हो तुम 'सानी' किस फ़रेब-ए-फ़ुर्सत में