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ग़ज़ल
जहाँ पे कप के किनारे पर एक लिपस्टिक का निशान होगा
वहीं पे इक दो क़दम की दूरी पे एक टाई पड़ी रहेगी
आमिर अमीर
ग़ज़ल
ख़ाली कुर्सी दो कप चाय सब्ज़ा ख़ुशबू बूँदा-बाँदी
सुब्ह-सवेरे मुझ से मिल कर तेरी बातें करते हैं
दानिश अज़ीज़
ग़ज़ल
नईम नाज़
ग़ज़ल
चाय के दो कप बॉलकनी और 'फ़ैज़' की नज़्में
तुम बिन भी ये मा'मूल हमारा जारी है