आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ".cpgh"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम ".cpgh"
ग़ज़ल
वज़्अ का पास भी है 'बेख़ुद'-ए-मय-ख़्वार ज़रूर
काग बोतल से न कीजिए सर-ए-बाज़ार जुदा
बेख़ुद देहलवी
ग़ज़ल
मिरा दिल भी शराब-ए-इश्क़ से लबरेज़ है साक़ी
ये बोतल भी उड़ा कर काग मयख़ाने में रख देना