aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".dael"
'दाग़' को यूँ वो मिटाते हैं ये फ़रमाते हैंतू बदल डाल हुआ नाम पुराना तेरा
मैं एक किरदार से बड़ा तंग हूँ क़लमकारमुझे कहानी में डाल ग़ुस्सा निकालना है
अगरचे ज़ोर हवाओं ने डाल रक्खा हैमगर चराग़ ने लौ को सँभाल रक्खा है
ले जाएँ मुझ को माल-ए-ग़नीमत के साथ अदूतुम ने तो डाल दी है सिपर तुम को इस से क्या
देखा जो कुछ रुका मुझे तो किस तपाक सेगर्दन में मेरी डाल दिए आप आ के हाथ
डाल के ख़ाक मेरे ख़ून पे क़ातिल ने कहाकुछ ये मेहंदी नहीं मेरी कि छुपा भी न सकूँ
'फ़राज़' तू ने उसे मुश्किलों में डाल दियाज़माना साहब-ए-ज़र और सिर्फ़ शाएर तू
तेरी वफ़ा की लाश पे ला मैं ही डाल दूँरेशम का ये कफ़न जो मिला है रक़ीब से
दुनिया पे अपने इल्म की परछाइयाँ न डालऐ रौशनी-फ़रोश अंधेरा न कर अभी
कौन हमारी प्यास पे डाका डाल गयाकिस ने मश्कीज़ों के तस्मे खोले हैं
सरफ़रोशी के अंदाज़ बदले गए दावत-ए-क़त्ल पर मक़्तल-ए-शहर मेंडाल कर कोई गर्दन में तौक़ आ गया लाद कर कोई काँधे पे दार आ गया
आईना हाथ में है तो सूरज पे अक्स डालकुछ लुत्फ़ भी सुराग़-रसाई में आएगा
शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा हैजिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है
कौन दरियाओं का हिसाब रखेनेकियाँ नेकियों में डाल आया
जो दाएँ बाएँ भी हैं और आगे पीछे भीउन्हें मैं अब भी तुम्हारे नहीं समझता हूँ
ये वार कर गया है पहलू से कौन मुझ परथा मैं ही दाएँ बाएँ और मैं ही दरमियाँ था
सज्दे में है जो महव-ए-दुआ वो है बे-दिलीये जो धमाल डाल रहा है, ये इश्क़ है
हम तिरे दोस्त हैं 'फ़राज़' मगरअब न और उलझनों में डाल हमें
निगाह डाल दी जिस पर हसीन आँखों नेउसे भी हुस्न-ए-मुजस्सम बना के लूट लिया
ज़ुन्नार बाँध सुब्हा-ए-सद-दाना तोड़ डालरह-रौ चले है राह को हमवार देख कर
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