आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ".hjdi"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम ".hjdi"
ग़ज़ल
जल्वा दिखलाए जो वो अपनी ख़ुद-आराई का
नूर जल जाए अभी चश्म-ए-तमाशाई का
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
ग़ज़ल
बेकार ये ग़ुस्सा है क्यूँ उस की तरफ़ देखो
आईने की हस्ती क्या तुम अपनी तरफ़ देखो
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
ग़ज़ल
मैं तो इंजन की गले-बाज़ी का क़ाइल हो गया
रह गए नग़्मे हुदी-ख़्वानों के ऐसी तान ली
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
बहुत से मुद्दई' निकले मगर जाँ-बाज़ कम निकले
पस-ए-मजनूँ हज़ारों आशिक़ों में एक हम निकले
मिर्ज़ा हादी रुस्वा
ग़ज़ल
नाला रुकता है तो सर-गर्म-ए-जफ़ा होता है
दर्द थमता है तो बे-दर्द ख़फ़ा होता है