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ग़ज़ल
छुटता है कौन मर के गिरफ़्तार-ए-दाम-ए-ज़ुल्फ़
तुर्बत पे उस की जाल का पाएगा पेड़ तू
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
सादुल्लाह शाह
ग़ज़ल
मोटी डालों वाले पेड़ के पत्ते कैसे पीले हैं
किस ने देखा कौन रोग है छुपा हुआ जड़ मूल में
अमीक़ हनफ़ी
ग़ज़ल
भरम खुल जाए ज़ालिम तेरे क़ामत की दराज़ी का
अगर इस तुर्रा-ए-पुर-पेच-ओ-ख़म का पेच-ओ-ख़म निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
बोएँगे अपने बाग़ में सब ख़ूबियों के बीज
जड़ से उखाड़ फेंकेंगे सारी ख़राबियाँ