आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ".pea"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम ".pea"
ग़ज़ल
कुछ तो पय-ए-शिकस्त-ए-सुकूत-ए-शब-ए-अलम
गिर्या सही फ़ुग़ाँ सही कुछ दम-ब-दम तो हो
सज्जाद बाक़र रिज़वी
ग़ज़ल
ग़म अगरचे जाँ-गुसिल है प कहाँ बचें कि दिल है
ग़म-ए-इश्क़ गर न होता ग़म-ए-रोज़गार होता
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
वही मुंसिफ़ों की रिवायतें वही फ़ैसलों की इबारतें
मिरा जुर्म तो कोई और था प मिरी सज़ा कोई और है
सलीम कौसर
ग़ज़ल
पी जा अय्याम की तल्ख़ी को भी हँस कर 'नासिर'
ग़म को सहने में भी क़ुदरत ने मज़ा रक्खा है
हकीम नासिर
ग़ज़ल
बादा फिर बादा है मैं ज़हर भी पी जाऊँ 'क़तील'
शर्त ये है कोई बाँहों में सँभाले मुझ को