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ग़ज़ल
देखिए क्या क्या सितम मौसम की मन-मानी के हैं
कैसे कैसे ख़ुश्क ख़ित्ते मुंतज़िर पानी के हैं
राजेन्द्र मनचंदा बानी
ग़ज़ल
जवाज़ अपना बनाता हूँ किसी नादीदा ख़ित्ते में
जहाँ मेरी ज़रूरत हो वहाँ अक्सर नहीं होता
अब्बास ताबिश
ग़ज़ल
शाहिद माकुली
ग़ज़ल
मेरे बच्चो इस ख़ित्ते में प्यार की गंगा बहती थी
देखो इस तस्वीर को देखो ये तस्वीर पुरानी है
आलम ख़ुर्शीद
ग़ज़ल
मेरे होंटों ही पे उड़ती रही आवाज़ की राख
कैसे लौ दे ये किसी ख़ित्ता-ए-बर्फ़ानी में
रज़ी अख़्तर शौक़
ग़ज़ल
मुस्तक़िल कैसे रहे जिस्म के ख़ित्ते का निज़ाम
हुक्मराँ रोज़ मिरे दिल में नया बैठता है
अली शीरान
ग़ज़ल
चंद ऐसे भी मसीहा हैं मेरे ख़ित्ते में
जिन से बीमार को अच्छा नहीं देखा जाता
शशांक सिंह ठाकुर साहिल
ग़ज़ल
नहीं है बहर-ओ-बर में ऐसा मेरे यार कोई
कि जिस ख़ित्ते का मिलता हो न दावेदार कोई
ग़ुलाम मुर्तज़ा राही
ग़ज़ल
'ग़ालिब'-ओ-'मीर' शहंशाह-ए-सुख़न हैं लेकिन
अपने ख़ित्ते में ज़मींदार-ए-ग़ज़ल हम भी हैं