आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "aagah"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "aagah"
ग़ज़ल
मैं अश्कों की तरह इस दर्द को भी ज़ब्त कर लेता
मुझे आगाह तो करता उभरने से ज़रा पहले
ख़ुशबीर सिंह शाद
ग़ज़ल
न उस का भेद यारी से न 'अय्यारी से हाथ आया
ख़ुदा आगाह है दिल की ख़बरदारी से हाथ आया
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
दिल-ए-आगाह में क्या कहिए 'जिगर' क्या देखा
लहरें लेता हुआ इक क़तरे में दरिया देखा
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
उस बज़्म में नहीं कोई आगाह-ए-दर्द कब
वाँ ख़ंदा ज़ेर-ए-लब इधर अश्क-ए-निहाँ नहीं