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ग़ज़ल
उस ने ख़ुद को खो कर मुझ में एक नया आकार लिया है
धरती अम्बर आग हवा जल जैसी ही सच्चाई अम्माँ
आलोक श्रीवास्तव
ग़ज़ल
बातें यादें रातें आँखें बाँहें आहें फ़रियादें
सूने घर के इक कोने में अक्सर मिल कर रोते हैं
दानिश अज़ीज़
ग़ज़ल
हम ऐसे नाकाम-ए-वफ़ा के ग़ोल में आकर बैठे हो
दुनिया की तक़दीर बदलना जिन का इक दस्तूर रहा
अज़ीज़ हामिद मदनी
ग़ज़ल
नून मीम दनिश
ग़ज़ल
प्यास हम अपनी बुझा लें ये इजाज़त है कहाँ
फिर भी ऐ दरिया तिरे नज़दीक आकर ख़ुश हुए