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ग़ज़ल
महफ़िल-ए-दोस्त में चलता तो हूँ ऐ दीदा-ए-शौक़
इश्क़ का राज़ न अफ़साना-ए-महफ़िल हो जाए
एहसान दानिश
ग़ज़ल
किस का किस का हाल सुनाया तू ने ऐ अफ़्साना-गो
हम ने एक तुझी को ढूँडा इस सारे अफ़्साने में
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
जो तिरी महफ़िल से ज़ौक़-ए-ख़ाम ले कर आए हैं
अपने सर वो ख़ुद ही इक इल्ज़ाम ले कर आए हैं
सय्यदा शान-ए-मेराज
ग़ज़ल
नरेश एम. ए
ग़ज़ल
नरेश एम. ए
ग़ज़ल
जोश था हंगामा था महफ़िल में तेरी क्या न था
इक फ़क़त आदाब-ए-महफ़िल की निगह-दारी न थी
आल-ए-अहमद सुरूर
ग़ज़ल
मुझे है सदमा-ए-हिज्राँ अदू को सैकड़ों ख़ुशियाँ
मिरे उजड़े हुए घर को भरी महफ़िल से क्या निस्बत
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
मज़ा क्या उस बुत-ए-बे-पीर से दिल के लगाने का
जो ख़ल्वत में हो बुत महफ़िल में हो तस्वीर की सूरत
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
काँप उठता है जिगर सुन के जफ़ा के क़िस्से
ख़त्म अफ़्साना-ए-ख़ूँ-रेज़ी-ए-इंसाँ कर दे