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ग़ज़ल
गूँगे बहरे हैं ये फ़रमान कहाँ सुनते हैं
ऐ ख़ुदा सुन ले कि इंसान कहाँ सुनते हैं
अशफ़ाक़ अहमद साइम
ग़ज़ल
ज़रूरत के मुताबिक़ तो सहारे लाज़मी होंगे
अगर दरिया बनाना हो किनारे लाज़मी होंगे
अशफ़ाक़ अहमद साइम
ग़ज़ल
बहुत से लोग हैं मुझ से ख़सारा पूछने वाले
तुम्हारा नाम न ले कर तुम्हारा पूछने वाले