aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "aivaan"
अब शहर में उस का बदल ही नहीं कोई वैसा जान-ए-ग़ज़ल ही नहींऐवान-ए-ग़ज़ल में लफ़्ज़ों के गुल-दान सजाऊँ किस के लिए
वो मिले तो ये पूछना है मुझेअब भी हूँ मैं तिरी अमान में क्या
चमकते चाँद भी थे शहर-ए-शब के ऐवाँ मेंनिगार-ए-ग़म सा मगर कोई शम्अ-रू न मिला
मैं ने भेजा तुझे ऐवान-ए-हुकूमत में मगरअब तो बरसों तिरा दीदार नहीं हो सकता
सर-ए-ऐवान-ए-तरब नग़्मा-सरा था कोईरात भर उस ने तिरी याद दिलाई मुझ को
पीर-ए-मय-ख़ाना ये कहता है कि ऐवान-ए-फ़रंगसुस्त-बुनियाद भी है आईना-दीवार भी है
दरिया-ए-अश्क चश्म से जिस आन बह गयासुन लीजियो कि अर्श का ऐवान बह गया
ये इंक़िलाब तो ता'मीर के मिज़ाज में हैगिराए जाते हैं ऐवाँ बने-बनाए हुए
ये तो चलती नहीं पी-एम की इजाज़त के बग़ैरइस को ऐवान-ए-सदारत की हवा कहते हैं
जहाँ में चाहिए ऐवान ओ क़स्र शाहों कोये एक गुम्बद-ए-गर्दूं है बस गदा के लिए
सुब्ह जब रात के ज़िंदान से बाहर आईरौशनी सोच के ऐवान से बाहर आई
टूटी मेज़ और जली किताबें रह जाएँगीड्रोन गिरेगा अम्न की बातें रह जाएँगी
हमारे भी हैं लोग ऐवान मेंमगर फूल काग़ज़ के गुलदान में
सिफ़ात ओ ज़ात के ऐवान-ए-रूह-परवर तकसुबू से फ़ासला-ए-नीम-गाम है साक़ी
इक वही ख़ुश-जमाल थोड़ी हैहुस्न वालों का काल थोड़ी है
फूल किताबें ले जा, तन्हा रहने देमेरा कमरा, मेरा कमरा रहने दे
हमारे भी हैं लोग ऐवान मेंअंगूठे सजे हैं क़लमदान में
जितनी अच्छी बातें हैंसारी तेरी बातें हैं
ये लड़का लड़की कोई मसअला समझ रहे हैंउन्हें ख़बर ही नहीं लोग क्या समझ रहे हैं
दरिया की तरफ़ देख लो इक बार मिरे यारइक मौज कि कहती है मिरे यार मिरे यार
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