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ग़ज़ल
किसी हादसे की ख़बर हुई तो फ़ज़ा की साँस उखड़ गई
कोई इत्तिफ़ाक़ से बच गया तो ख़याल तेरी तरफ़ गया
लियाक़त अली आसिम
ग़ज़ल
सादुल्लाह शाह
ग़ज़ल
बोएँगे अपने बाग़ में सब ख़ूबियों के बीज
जड़ से उखाड़ फेंकेंगे सारी ख़राबियाँ
बासिर सुल्तान काज़मी
ग़ज़ल
तेरे आफ़त-ज़दा जिन दश्तों में अड़ जाते हैं
सब्र ओ ताक़त के वहाँ पाँव उखड़ जाते हैं