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ग़ज़ल
आलम निज़ामी
ग़ज़ल
चाँद ने आज जब इक नाम लिया आख़िर-ए-शब
दिल ने ख़्वाबों से बहुत काम लिया आख़िर-ए-शब
हिमायत अली शाएर
ग़ज़ल
ख़ाक आख़िर हो गया सब साज़-ओ-सामान-ए-हयात
क्यूँ दिल-ए-बर्बाद-ए-हसरत अब तो आराम आ गया
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
ग़ज़ल
तू गुलशन-ए-हयात से नसीम की तरह गुज़र
फ़रेब-ए-ख़ार-ओ-ख़स न खा असीर-ए-रंग-ओ-बू न हो
फ़ैज़ झंझानवी
ग़ज़ल
मेरे हम-दम मिरे दम-साज़ मिरी जान-ए-हयात
यूँ मुझे छोड़ के जाते हो कहाँ आख़िर-ए-शब