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ग़ज़ल
वो तिरा हुस्न-ए-तजल्ली अल-हफ़ीज़-ओ-अल-अमाँ
मेरी आँखों में मिरे दिल में समाना याद है
अफ़ज़ल पेशावरी
ग़ज़ल
तेरे कूचे के मज़े कब को समझता वाइज़
उस की तस्कीं के लिए ज़िक्र-ए-इरम अच्छे हैं
अल-हाज अल-हाफीज़
ग़ज़ल
मेरी नवा-ए-शौक़ से शोर हरीम-ए-ज़ात में
ग़ुल्ग़ुला-हा-ए-अल-अमाँ बुत-कदा-ए-सिफ़ात में
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
आ कि दुनिया मुंतज़िर है कब से इस्तिक़बाल को
हर ज़बाँ पर अल-अमाँ है ऐ अमाँ तेरे बग़ैर
मज़हरुल क़य्यूम मज़हर
ग़ज़ल
ज़ुल्म पर बाँधें कमर तो अल-अमान-ओ-अल-हफ़ीज़
मिस्ल-ए-चंगेज़ इक बला-ए-बे-अमाँ होते हैं लोग
सय्यद ज़ियाउद्दीन नईम
ग़ज़ल
तुम अपने शहर में अम्न-ओ-अमाँ की बात करो
जहाँ सुकूँ है वहाँ लोग बद-हवास भी हैं
फ़ैज़ुल हसन ख़्याल
ग़ज़ल
हश्र में आफ़्ताब-ए-हश्र और वो शोर-ए-अल-अमाँ
'असग़र'-ए-बुत-परस्त ने ज़ुल्फ़ का वास्ता दिया
असग़र गोंडवी
ग़ज़ल
जरस है कारवान-ए-अहल-ए-आलम में फ़ुग़ाँ मेरी
जगा देती है दुनिया को सदा-ए-अल-अमाँ मेरी