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ग़ज़ल
हुस्न को हम ने अमर कहा था प्यार को सच्चा जाना था
एक जवानी के कस-बल पर सारे सच झुटलाए थे
शाहिद इश्क़ी
ग़ज़ल
हुस्न को हम ने अमर कहा था प्यार को सच्चा जाना था
एक जवानी के कस बल पर सारे सच झुटलाए थे
शाहिद इश्क़ी
ग़ज़ल
अज़्म-ए-फ़रहाद ने औज़ार से काटा था पहाड़
हम रग-ए-गुल से भी पत्थर का जिगर काटेंगे
इमरान अली ख़ाँ इमरान
ग़ज़ल
हर सितम लुत्फ़ है दिल ख़ूगर-ए-आज़ार कहाँ
सच कहा तुम ने मुझे ग़म से सरोकार कहाँ