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ग़ज़ल
कल तक जिस के गिर्द था रक़्साँ इक अम्बोह सितारों का
आज उसी को तन्हा पा कर मैं तो बहुत हैरान हुआ
मोहसिन नक़वी
ग़ज़ल
है अब भी वक़्त ज़ाहिद तरमीम-ए-ज़ुह्द कर ले
सू-ए-हरम चला है अम्बोह-ए-बादा-ख्वाराँ
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
मैं कि अम्बोह-ए-अज़ीज़ाँ में किसी का भी नहीं
ज़िंदगी मुझ से लिपट जा कि मैं तेरा हो जाऊँ
सुल्तान अख़्तर
ग़ज़ल
दिल को इक सूरत भाई थी इस अम्बोह में पर हम ने
जाने इस अफ़रा-तफ़री में किस की सम्त इशारा किया
सऊद उस्मानी
ग़ज़ल
इरफ़ान सत्तार
ग़ज़ल
हसरत-ओ-यास का अम्बोह मगर मैं बेकस
ऐसे मजमे' में ये आलम मिरी तन्हाई का