aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ameer-khusrau"
ज़े-हाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल दुराय नैनाँ बनाए बतियाँकि ताब-ए-हिज्राँ नदारम ऐ जाँ न लेहू काहे लगाए छतियाँ
वो अजनबी की तरह आज हम से मिलते हैंतमाम उम्र जो 'ख़ुसरव' हमारे साथ रहे
वक़्त क्या वक़्त से उम्मीद-ए-करम क्या 'ख़ुसरव'वक़्त हालात का ख़ुद मर्सियाँ-ख़्वाँ है अब के
चमन में पैकर-ए-ख़ुशबू मिले कई 'आमिर'प क्या करूँ कि उसी मुश्कबू की 'आदत है
उम्मीद फ़स्ल-ए-गुल की फ़ज़ाओं को हो गईगुलशन को अपनी ख़ुशबू से बहका रहे हैं आप
इस लिए सब से अलग है मिरी ख़ुशबू 'आमी'मुश्क-ए-मज़दूर पसीने में लिए फिरता हूँ
'इक़बाल' जब से फूल हैं गुल-दान के असीरख़ुशबू उड़ी उड़ी सी है और रंग ज़र्द हैं
किस की ख़ुशबू चमन चमन है 'असीर'कौन है रौशनी के पर्दे में
भीनी ख़ुशबू सुलगती साँसों मेंबिजलियाँ भर गई हैं हाथों में
तिरा ख़याल था लफ़्ज़ों में ढल गया कैसेदिलों में शम-ए-ग़ज़ल बन के जल गया कैसे
सहराओं की प्यास बुझानेकब आए बरसात न जाने
फ़िक्र मेरी ख़याल मेरा हैनाम उन का कमाल मेरा है
सुब्ह आती है मसर्रत के पयामात लिएज़िंदगानी के महकते हुए नग़्मात लिए
बारिश नहीं लाती कभी अफ़्लाक से ख़ुशबूख़ुद झूम के उठती है इसी ख़ाक से ख़ुशबू
बढ़ी जो उम्र तो हालात ने भी रुख़ मोड़ाअब उन से आने लगी दादा जान की ख़ुशबू
वो मोहब्बत न सही दर्द-ए-मोहब्बत ही सहीकुछ तो मिल जाए हमें आप की नफ़रत ही सही
इस दौर से ख़ुलूस मोहब्बत वफ़ा न माँगसहरा से कोई साया कोई आसरा न माँग
रात लहराया लम्स ख़ुश्बू कासाया रौशन हुआ था गेसू का
बीते रिश्ते तलाश करती हैख़ुशबू ग़ुंचे तलाश करती है
हस्ब-ए-फ़रमान-ए-अमीर-ए-क़ाफ़िला चलते रहेपा-ब-जौलाँ दीदा-ओ-लब-दोख़्ता चलते रहे
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